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केमिकल फर्टिलाइजर

किसान परिवारों को बिना हानिकारक उर्वरक के खेती करना सिखाएगी यह सरकार, जाने क्या है प्लान

किसान परिवारों को बिना हानिकारक उर्वरक के खेती करना सिखाएगी यह सरकार, जाने क्या है प्लान

आजकल हर कोई अपनी सेहत को लेकर बेहद जागरूक है और ऐसे में सभी लोग इस तरह की चीजें खाना चाहते हैं। जिसमें केमिकल या फिर किसी भी तरह के रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल ना किया गया हो। इन सब बातों का ही ध्यान रखते हुए हिमाचल प्रदेश में सरकार ने किसानों को केमिकल फ़र्टिलाइज़र (Chemical Fertilizer) और कीटनाशक आदि के बिना खेती करने की सलाह दी है। योजना के तहत प्रदेश सरकार किसानों को बिना कैमिकल उर्वरक और कीटनाशक खेती करना सीखा रही है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना शुरू की है। जिसमें राज्य सरकार प्रदेश में कीटनाशक और केमिकल फर्टिलाइजर (Chemical Fertilizer) के प्रयोग को एकदम खत्म करने का बारे में सोच रही है। हाल ही में आई खबर में पता चला है, कि हिमाचल प्रदेश राज्य के कृषि सचिव राकेश कंवर ने इस पूरी योजना की समीक्षा की है। इस समीक्षा के अनुसार साल 2022-23 के लिए निर्धारित लक्ष्य का 83 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। बाकी के बचे हुए लक्ष्य को भी जल्दी ही पूरा करने की संभावना है।
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इस आर्टिकल में हम ये जाने की कोशिश करेंगे कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना क्या है। हिमाचल की सरकार इसको ग्राउंड लेवल पर उतारने के लिए क्या काम कर रही है?

क्या है प्राकृतिक खेती खुशहाल योजना?

जैसा कि पहले ही बताया गया है, कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य खेतों में केमिकल फर्टिलाइजर (Chemical Fertilizer) और कीटनाशकों के इस्तेमाल को खत्म करना है। इस योजना के तहत हिमाचल प्रदेश के 3226 में से 2934 पंचायतों के 72,193 किसान परिवारों को प्राकृतिक खेती के बारे में पूरी तरह से जानकारी देते हुए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसानों को फर्टिलाइजर और कीटनाशक के उपयोग के नुकसान के बारे में पूरी जानकारी अच्छी तरह से दी जाएगी। साथ ही राज्य सरकार के आर्थिक रूप से भी मदद भी उपलब्ध कराएगी।
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राज्य के किसान परिवारों को लाया जाएगा एक साथ

हिमाचल प्रदेश की सरकार इस योजना के तहत लगभग 10 लाख किसान परिवारों को एक साथ लेकर आएगी और उन्हें इस योजना से जोड़ने का प्रयत्न करेगी। राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है, कि सरकार का प्रयास है, कि कोई भी किसान प्रदेश में केमिकल फर्टिलाइजर (Chemical Fertilizer) और कीटनाशक का प्रयोग न करें। केमिकल फर्टिलाइजर (Chemical Fertilizer) इस्तेमाल करने का नुकसान यह होता है, कि जमीन की उर्वरक क्षमता क्षीण होती है। राज्य सरकार योजना के तहत प्रदेश के हर किसान को जोड़ेगी। फिलहाल दस लाख किसानों का इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

किसानों को क्या होगा योजना का फायदा

यह योजना पर्यावरण के लिए तो अच्छी है ही साथ ही है किसानों के लिए भी बेहद लाभकारी साबित होने वाली है। यह प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी और आने वाले समय में उन्हें इस तरह की खेती से अच्छा खासा मुनाफा होने की भी संभावना है।
जाने कैसे एक इंजीनियर मां अपने बच्चे की बीमारी के बाद बन गई एक किसान

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आजकल सबसे ज्यादा मिलावट खाने-पीने की चीजों में की जाती है। सब्जियां हो या फिर बाहर से लिया जाने वाला कोई भी सामान इनमें बहुत ज्यादा मात्रा में केमिकल फर्टिलाइजर डाले जाते हैं, जिनका हमारी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इन सभी तरह की मिलावट के चलते बच्चे और बड़े सभी के स्वास्थ्य का नुकसान हो रहा है। आप बाजार में मिल रही किसी भी वस्तु पर पूरी तरह से भरोसा नहीं कर सकते हैं। फसलों में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन के लिए पेस्टिसाइड और केमिकल मिलाया जाना आजकल बहुत ही सामान्य हो गया है। ऐसे में क्या किया जाए? इन्हीं सब चीजों से परेशान एक मां, सुभश्री संथ्या ने अपने बच्चे की हार्ट सर्जरी होने के बाद उसकी हेल्थ को अच्छा रखने के लिए एक बहुत ही बड़ा कदम उठाया। उसने खुद से ही ऑर्गेनिक खेती करने की ठानी और आज वह लगभग 1 एकड़ जमीन पर बिना किसी केमिकल का इस्तेमाल किए ऑर्गेनिक खेती कर रही हैं।

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कैसे एक इंजीनियर मां बनी किसान

अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद सुभश्री संथ्या आईटी की फील्ड में अच्छी खासी नौकरी कर रही थी। सूत्रों की मानें तो वह टीसीएस जैसी जानी मानी कंपनी में कार्यरत थी। लेकिन उनकी जिंदगी ने एक मोड़ ले लिया जब कोविड-19 के बाद से उनका बच्चा बहुत ज्यादा बीमार रहने लगा। उनका सिर्फ 6 महीने का बच्चा दिल की बीमारी से पीड़ित हो गया था और सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात यह है, कि सुभश्री संथ्या के परिवार में किसी भी तरह की दिल की बीमारी की दिक्कत की नहीं आयी है। डॉक्टर की मानें, तो यह हमारे लंबे समय से चले आ रहे गलत खान-पान का ही परिणाम है। डॉक्टर ने उन्हें सख्त हिदायत दी, कि उन्हें पूरी तरह से नेचुरल और ऑर्गेनिक खाने की तरफ अपना रुख कर लेने की जरूरत है। साथ ही, ऐसा खाना खाने की जरूरत है, जो पोषक तत्वों से भरपूर हो और उसमें किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल ना किया गया हो। कहा जाता है, कि एक मां अपने बच्चों के लिए कुछ भी कर सकती हैं और ऐसा ही यहां भी हुआ। सुभश्री संथ्या ने शुरू में मुंबई में अपने अपार्टमेंट की बालकनी में ही कुछ सब्जियों और फलों के पौधे लगाकर जैविक कृषि की शुरुआत की और आज वह पूरी तरह से एक जैविक किसान बन चुकी हैं।

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किस तरह से खेती की शुरुआत की सुभश्री संथ्या को खेती के बारे में किसी भी तरह की जानकारी नहीं थी और उनके पास कोई जमीन भी नहीं थी। सबसे पहले जैविक कृषि क्षेत्र को अच्छी तरह से जानने के लिए इन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और इसके बारे में पूरी तरह से रिसर्च किया। शुरू में उन्होंने यह कृषि अपने घर में ही शुरू की और किचन से निकलने वाले वेस्ट से उन्होंने कंपोस्ट बनाना शुरू किया। लेकिन उनके लिए यह काफी नहीं था, इसलिए उन्होंने एक बहुत ही बड़ा कदम उठाया और अपनी बचाई गई जमा पूंजी से अपने घर से ही लगभग आधे घंटे की दूरी पर एक खेत खरीद लिया। 

आईआईटी खड़गपुर से ली सस्टेनेबल फार्मिंग की डिग्री

सुभश्री संथ्या ना सिर्फ अपने लिए ही कुछ कर रहे हैं बल्कि वह अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बन गई हैं। उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग को अच्छी तरह से समझने के लिए आईआईटी खड़कपुर से सस्टेनेबल फार्मिंग की पढ़ाई की ओर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने ‘मड एंड मदर’ नाम की एक कंपनी की शुरुआत की जो ऑर्गेनिक तरीके से सब्जियां उगाने के लिए बेस्ट है।

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 आज सुभश्री संथ्या अपने जैसी ही अन्य बहुत-सी महिलाओं को भी इस खेती करने के तरीके के बारे में जागरूक कर रही हैं। उनका कहना है, कि खुद को और अपने बच्चों को एक केमिकल फ्री जीवन देना उनका लक्ष्य बन गया है और इस सफर में वह कभी भी सीखना बंद नहीं करेंगी। आगे चलकर बच्चों को एक बेहतर भविष्य देने के बारे में निरंतर प्रयास करती रहेंगी।